राष्ट्रीय कला कार्यशाला एवं संवाद के साथ सृजनोत्सव का हुआ समापन


तीन दिवसीय कला समारोह के अंतिम दिन राष्ट्रीय कला कार्यशाला एवं कला संवाद  का कार्यक्रम


दलसिंहसराय (समस्तीपुर), हमेशा से ही देश और प्रदेश में कला के विकास के लिए लगातार प्रयास किसी न किसी माध्यम से किया जा रहा है। इस प्रयास में कलाकारों के साथ साथ कला प्रेमियों, कला लेखकों/ समीक्षकों, और अनेकों संस्थाओं का भी प्रमुख योगदान होता है। हर रचनात्मक कार्य करने वाला लगातार यही प्रयास करता रहता है कि लोग रचनात्मक कार्यों से जुड़े और प्रचार प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए भूमिका निभाए। देश में तमाम संस्थाएं लगातार राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।

इसी श्रृंखला में एक और कड़ी जोड़ने का प्रयास पिछले 13 वर्षों से बिहार के समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय में विजुअल आर्ट फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है। हर बार की तरह इस वर्ष भी दलसिंहसराय में फाउंडेशन द्वारा एक भव्य कला समारोह का आयोजन किया गया। इस बार यह समारोह तीन दिवसीय हुआ। इस बार शीर्षक "सृजनोत्सव" 13वीं शारदीय नवरात्र महोत्सव-2023 के रूप में मनाया गया। जिसमें प्रथम दिन देश के अलग अलग राज्यों और स्थानीय लगभग 300 कलाकारों, कला लेखकों, मूर्तिकारों के साथ फ़िल्म,साहित्य और सामाजिक योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। समारोह के दूसरे दिन अन्य राज्यों से आये कलाकारों का दल देश के लोकप्रिय लोकचित्र कला मिथिला कला क्षेत्र का भ्रमण और कलाकारों से मिलने ,उनके कला  यात्रा पर कार्यक्रम किया गया। जिसमें मधुबनी चित्रकार विमला दत्त, पद्मश्री गोदावरी दत्त, अविनाश सहित अन्य कलाकारों के उनके आवास पर जाकर उनके कार्यों और उनकी कला यात्रा पर विस्तृत चर्चा किया गया। 

  तीन दिवसीय कला समारोह के अंतिम दिन राष्ट्रीय कला कार्यशाला एवं कला संवाद  का कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। उसके बाद अन्य राज्यों से आये सभी चित्रकार, मूर्तिकार एवं कला लेखक द्वारा एक कोरे कैनवस पर अपने हस्ताक्षर चित्र अंकित किया। सभी कलाकारों ने अपनी शैली का परिचय देते हुए अपने हस्ताक्षर किए। उसके बाद चित्रकला और मूर्तिकला की कार्यशाला प्रारंभ हुई। चित्रकला कार्यशाला में प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से आये वरिष्ठ चित्रकार उमेश सक्सेना ने रेखांकन और पेंटिंग की तमाम बारीकियों से लोगों को अवगत कराया। सक्सेना ने पेपर पर रेखांकन करते हुए अपनी बात की। कला की शिक्षा और उसके प्रति जागरूक करते हुए उन्होंने कहा कि कला कर्म सभी को करना चाहिए। यह हमारे जीवन का अहम कार्य है। कला ही जीवन है इस उद्देश्य को हमेशा धारण करते हुए जीवन जीना चाहिए। मूर्तिकला कार्यशाला में प्रमुख रूप से कोलकाता से आये मूर्तिकार उत्पल घोष और ज़नाब मियाज उद्दीन ने स्थानीय मूर्तिकारों को मूर्तिकला की बारीकियों को बताता। उन्होंने मिट्टी में पोर्ट्रेट बनाते हुए मूर्तिकारों को मूर्तिशिल्प के महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझाया। चित्रकार व कला लेखक भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि कला से आमजन को जोड़ने का प्रयास अवश्य करना चाहिए। कला सभी के लिए है और सभी कला के लिए। कला पर संवाद की निरंतरता भी जरूरी है। संवाद से कला से जुड़ी तमाम विधाओं, शैलियों, माध्यमों और उसके समय समय में हुए प्रयोगों उसके इतिहास से भी जुड़ने का अवसर प्राप्त होता है। आज के समय मे कला माध्यमों के दायरों से बाहर निकल चुकी है। सभी कलाकार अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए कई माध्यमों का प्रयोग करते हुए कृतियों का सृजन कर रहे हैं। आज कला संवाद एक जरुरी कार्य है। कला संवाद कार्यक्रम में उपस्थित कलाकारों ने अपने अपने भाव विचार व्यक्त किये। कला संवाद से कलाकारों के कलात्मक परिचय के साथ कला व कलाकारों का उत्साहवर्धन ,उसकी उन्नति और विकास की एक प्रमुख श्रृंखला जुड़ती है। जो कला संस्कृति इतिहास को और महत्वपूर्ण बनाने में अहम भूमिका निभाती है।

समारोह के समापन समारोह पर फाउंडेशन के अध्यक्ष मो सुलेमान ने सभी का आभार एवं धन्यवाद किया। और अगले वर्ष होने वाले कार्यक्रम को और कलात्मक विस्तार देने की बात कही। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री जगदीश प्रसाद सिंह और श्री चंदन प्रसाद उपस्थित रहे। संस्था के उत्सव जायसवाल सहित काफी संख्या में कलाकार, और विद्यार्थी, स्थानीय लोग उपस्थित रहे।


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