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नवंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लघुकथा : स्नेहा की जीत

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             बर्तन माँजती हुई स्नेहा को जब पता चला कि उसकी सास उसे न केवल घूर रही है, बल्कि तंज कसते कुछ सख्त शब्द छोड़ रही है ; स्नेहा से नहीं रहा गया। हाथ धोकर तुरंत उठी। बोली- "माँ जी आपको हमेशा मेरी ही गलती नजर आती है क्या ? जब देखो गैरों की तरह हर बात पर मुझे ताने मारती रहती हो।" स्नेहा आग बबूला हो गयी। कह ही रही थी- "वैसे भी आपके बेटे का व्यवहार मेरे प्रति ठीक नहीं है; अब आप भी....!" कहते हुए स्नेहा अपने कमरे में चली गयी।           स्नेहा अपनी किस्मत को कोसने लगी। उसकी सिर्फ इतनी ही गलती थी कि वो एक गरीब घर की बेटी थी, जो हमेशा सच्चाई का साथ देती थी। जब उसे कुछ गलत लगता तो बोल देती थी।            कुछ देर बाद सुमित घर आया । तभी स्नेहा की सास श्यामा सुमित के सामने मगरमच्छ के आँसू बहाने लगी। सुमित से रहा नहीं गया। पूछा- "माँ आप रो क्यों रही हैं। क्या हुआ माँ, बताइये तो ?" श्यामा ने अपनी गलती पर पर्दा डालते हुए स्नेहा को ही दोषी ठहराया। सुमित की त्यौरी चढ़ गयी। बोला- "स्नेहा, तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुमने मेरी माँ को रूला दिया।" जोर-जोर से आवाज

यह कैसा अन्याय! (कहानी) — गीता चौबे गूँज

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         युद्ध की भयावहता सिर्फ मैदाने जंग में ही नहीं होती, वरन् आम जीवन में भी जिंदगी और मौत के संघर्ष में जब मौत का पलड़ा भारी होने लगे और आँखों के सामने जिंदगी की साँसें थमने लगे तो मौत की अनुभूति का खौफ किसी युद्ध से कम नहीं होता। अंतिम परिणति मौत का साम्राज्य दोनों में ही है।  फर्क सिर्फ इतना है कि देशों के बीच  होने वाला युद्ध प्रत्यक्ष दिखाई पड़ता है। किंतु व्यवस्था के बीच होने वाला संघर्ष, मन-मस्तिष्क में अनवरत चलने वाला द्वंद्व अप्रत्यक्ष होकर भी कम भयावह नहीं होता …!                  रंजन उन दिनों की भयानक यादों को कैसे भूल  सकता है! उस बार भयंकर सूखा पड़ा था। खेतों में पड़ी  गहरी दरारें चीख-चीख कर बदहाली की कहानी कह रही थीं।  सूखे की स्थिति की भयंकरता, वहाँ के रहनेवाले लोगों के साथ-साथ आसपास के प्रदेशों में लगना मुश्किल न था। वैसे उसके गाँव की भूमि अधिक ऊपजाऊ तो न थी, किंतु  किसी तरह पेट भरने भर अनाज तो पैदा हो ही जाता था। गाँव की बेटियों की शादियाँ तो हो जाती थीं, किंतु आसपास के इलाके का कोई भी बाप अपनी बेटियों को इस गाँव की बहू बनाना पसंद नहीं करता था। गरीबी के कारण शिक्ष

जजिया के साथ ही तीर्थयात्रा एवं गंगा स्नान के टैक्स का बोझ उठाने के बाद भी हिंदुओं ने न तो तीर्थाटन छोड़ा और न ही गंगा स्नान-डॉ कृष्णगोपाल

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लखनऊ,सी.एम.एस. सभागार, विशालखण्ड, गोमती नगर में  राष्ट्रधर्म प्रकाशन लिमिटेड द्वारा प्रकाशित   'राष्ट्रधर्म' (मासिक)  पत्रिका  का 'राष्ट्रोन्मुख विकास' अंक का विमोचन समारोह मुख्य अतिथि: डॉ.कृष्ण गोपाल जी के कर कमलो सम्पन्न हुआ। समारोह  की अध्यक्षता प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने की। प्रभारी निदेशक सर्वेशचन्द्र द्विवेदी ने मुख्य अतिथि डॉ.कृष्ण गोपाल जी का स्वागत किया। स्वागत भाषण निदेशक मनोजकांत ने देते हुए मंचासीन अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। एक हजार वर्ष की पराधीनता काल में हमारी संस्कृति का क्षरण होता रहा, दबाब प्रभाव में भारतीय जब संस्कार भी खोने लगे ऐसी स्थिति में राष्ट्र की अखण्डता के मूल को जीवित रखने की आवश्यकता पड़ने लग गयी । देश की आजादी के समय में अंग्रेजों ने देश की संस्कृति को जिस प्रकार से खंडित करने का षड्यंत्र रचा था, उसे निष्‍प्रयोज्‍य करने के लिये राष्ट्रधर्म पत्रिका की 76 वर्ष पूर्व शुरुआत की गयी थी, जिसके अटल बिहारी वाजपेयी संपादक रहे । पीएम मोदी के 9 वर्षों के कार्यकाल में अब जब देश को एक नयी दिशा मिलने लगी है तो राज्यों में हो रहे विकास कार्यों और

वरिष्ठ साहित्यकार/पुलिस अधिकारी चिरंजीव नाथ सिन्हा को उनके साहित्यिक योगदान हेतु नव समानुभूति संस्था ने किया सम्मानित

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लखनऊ, नव समानुभूति, संस्था लखनऊ द्वारा श्रेष्ठ लेखक, कवि, साहित्यकार, समाजसेवी, वन्य जीव संरक्षक पुलिस विभाग में बड़े ओहदे की जिम्मेदारी का बखुबी निर्वहन कर रहे  चिरंजीव नाथ सिन्हा  का सम्मान लखनऊ के कैसरबाग स्थित उनके कार्यालय में किया गया, सम्मान करते समय संस्था के पदाधिकारी डॉ. रश्मिशील, संस्थापक सदस्य,  मानस मुकुल त्रिपाठी , अध्यक्ष, आदित्य तिवारी उपाध्यक्ष,  विपुल मिश्रा उपाध्यक्ष,  शशांक अग्निहोत्री , विधि परामर्श समेत  संस्था के महासचिव अखिलेश त्रिवेदी शाश्वत भी उपस्थित रहे।  चिरंजीव नाथ सिन्हा जी को उनके द्वारा किये जा रहे उत्कृष्ट साहित्यिक कार्यों के लिए उनको संस्था के पदाधिकारियों द्वारा माल्यार्पण करके प्रतीक चिन्ह व शॉल भेंट  कर सम्मानित किया गया। नव समनुभूति संस्था, लखनऊ का गठन 2016 में किया गया था, जिसे आज लगभग सभी लोग भली भांति जानते हैं  नव समानुभूति संस्था, लखनऊ द्वारा सामाजिक,साहित्यिक,और संस्कृतिक उत्थान के  निरंतर कार्य किये जा रहे हैं।

बुंदेलखंड सामाजिक एवं सांस्कृतिक सहयोग परिषद ने 37 वां स्थापना दिवस मनाया

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  लखनऊ.गोमती नगर स्थित अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्थान में बुंदेलखंड सामाजिक एवं सांस्कृतिक सहयोग परिषद का 37वां स्थापना दिवस समारोह मनाया. इसमें मुख्य अतिथि के रुप में उप मुख्यमन्त्री बृजेश पाठक ने सम्बोधित किया.      इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश की राजधानी में रह रहे 2लाख बुंदेलखंड वासियों के लिए बुंदेलखंड भवन की मांग पर उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि इसके लिए वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने जोरदार पैरवी करेंगे. इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा  इस अवसर पर सुरेंद्र अग्निहोत्री के संपादन में सहयोग परिषद की स्मारिका तथा आठ करोड बुन्देलीभाषीयों की छतरपुर से प्रकाशित बुंदेली तिमाही पत्रिका ष्अथाई की बातेंष् का सभी मुख्य अतिथियों एवं विशिष्ट अतिथियों ने विमोचन किया।श्री के पी प्रजापति प्रधान संपादक बुंदेलखंड की स्मारिका एवं स्मारिका में सर्वाधिक योगदान देने वाली  श्रीमती मनीषा जैन एवं बुंदेलखंड के बेटे मानवेन्द्र प्रसाद   पिस्टल एवं गन के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को  मुख्य अतिथि तथा विधााान परिषद के स्भापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड की तरक्की के

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने अलग राज्य की अलख जगाने के लिए बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी बनाने की घोषणा की

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      लखनऊ,  पिछली सरकारों में अनदेखी की वजह से विकास की रेस में पिछड़े बुंदेलखंड को संवारने में जुटी योगी सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। तभी उनकी सरकार के दौरान डीजीपी सुलखान सिंह ने अलग राज्य की अलख जगाने क ेलिए बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी बनाने की घोषणा की है।मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुल 15 जिलों को मिलाकर बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग  कर रहे यूपी के  नौकरशाह की राजनीति में हुई एंट्री कितनी सफल होती है यह तो वक्त ही बतायेगा। गौरतलब है कि फिल्म अभिनेता राजा बुन्देला ने भी बुंदेलखंड काग्रेस पार्टी नामक राजनैतिक दल बनाकर 2012 के चुनावी रण में भागीदारी की थ्सी लेकिन सफलता न मिल सकने के कारण बाद में भाजपा में शामिल हो गये थे।यूपी के 7 जिलों (झांसी, बांदा, हमीरपुर,चित्रकूट, ललितपुर,जालौन, महोबा) और मध्य प्रदेश के 8 जिलों (दमोह, पन्ना, सागर, छतरपुर, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़,अशोकनगर) को मिलाकर बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग उठाई गई।आगामी लोकसभा चुनावों में इन जिलों से पार्टी के प्रत्याशी भी मैदान में उतरेंगे।पूर्व डीजीपी ने बांदा में बस स्टैंड के पास एक होटल में प्रेसवार्ता की।

बुंदेली काव्य-संग्रह ‘सबरंगी बुंदेली बगिया’का विमोचन

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 'एक शाम बुंदेली कविता के नाम' बुंदेली काव्य-गोष्ठी सम्पन्न विगत 13 नवम्बर 2023 को खरगापुर जिला टीकमगढ़ के पुराने बाजार स्थित कुंजबिहारी मंदिर में बुंदेली संस्कृति के बहुआयामी प्रचार-प्रसार में संलग्न 'गर्भनाल न्यास' के बैनर तले आयोजित "एक शाम बुंदेली कविता के नाम" संगीतमय कवि-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर न्यास द्वारा प्रकाशित रामप्रसाद ‘सबरंगी’ के बुंदेली काव्य-संग्रह ‘सबरंगी बुंदेली बगिया’का विमोचन विशिष्ट अतिथि एवं उपस्थित बुंदेली कवियों द्वारा किया गया। न्यास ने बुंदेली भाषा के बहुआयामी विकास और संरक्षण के कामों को गति देने की कड़ी में यह प्रथम बुंदेली काव्य-संग्रह प्रकाशित किया है। आगामी वर्षों में अन्य बुंदेली कवियों के काव्य संकलन प्रकाशित किये जायेंगे। उल्लेखनीय है कि बुंदेली कविता और साहित्य में इतना बिखराब है कि उसे समग्रता से संकलित किये जाने की महती आवश्यकता है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये न्यास ने कुंडेश्वर में पं. बनारसीदास चतुर्वेदी को स्मरण करते हुए बुंदेली कवि सम्मेलन का जो सिलसिला प्रारंभ किया था, श्रीकुंजबिहारी मंदिर खरगापुर में