पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने अलग राज्य की अलख जगाने के लिए बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी बनाने की घोषणा की
लखनऊ, पिछली सरकारों में अनदेखी की वजह से विकास की रेस में पिछड़े बुंदेलखंड को संवारने में जुटी योगी सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। तभी उनकी सरकार के दौरान डीजीपी सुलखान सिंह ने अलग राज्य की अलख जगाने क ेलिए बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी बनाने की घोषणा की है।मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुल 15 जिलों को मिलाकर बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे यूपी के नौकरशाह की राजनीति में हुई एंट्री कितनी सफल होती है यह तो वक्त ही बतायेगा। गौरतलब है कि फिल्म अभिनेता राजा बुन्देला ने भी बुंदेलखंड काग्रेस पार्टी नामक राजनैतिक दल बनाकर 2012 के चुनावी रण में भागीदारी की थ्सी लेकिन सफलता न मिल सकने के कारण बाद में भाजपा में शामिल हो गये थे।यूपी के 7 जिलों (झांसी, बांदा, हमीरपुर,चित्रकूट, ललितपुर,जालौन, महोबा) और मध्य प्रदेश के 8 जिलों (दमोह, पन्ना, सागर, छतरपुर, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़,अशोकनगर) को मिलाकर बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग उठाई गई।आगामी लोकसभा चुनावों में इन जिलों से पार्टी के प्रत्याशी भी मैदान में उतरेंगे।पूर्व डीजीपी ने बांदा में बस स्टैंड के पास एक होटल में प्रेसवार्ता की। कहा कि आज भी बुंदेलखंड में रोजगार के अवसर नहीं हैं। समय से सिंचाई न होने के कारण अन्नदाता की फसलें सूख रही है। मऊ और मरका पुल का निर्माण शुरू करवाया गया लेकिन सत्ता परिवर्तन होने के बाद यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चले गए।उन्होंने कहा कि मांग को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए इन जिलों में आगामी समय में होने वाले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेंगे। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बुंदेलखंड खुद में एक गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है. जिसका बखान यहां का कण–कण करता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि 1857 में मेरठ में प्रथम स्वातंत्र्य समर की जो ज्वाला भड़की थी उससे 15 साल पहले ही बुंदेलखंड की धर्मनगरी चित्रकूट में स्वतंत्रता के लिए एक क्रांति का सूत्रपात हो चुका था. जब पवित्र मंदाकिनी के किनारे गोकशी के खिलाफ एकजुट हुई हिंदू–मुस्लिम बिरादरी ने मऊ तहसील में अदालत लगाकर पांच फिरंगी अफसरों को फांसी पर लटका दिया था. इसके बाद जब–जब अंग्रेजों या फिर उनके किसी पिछलग्गू ने बुंदेलों की शान में गुस्ताखी का प्रयास किया तो उसका सिर धड़ से अलग कर दिया गया. लेकिन आजादी के संघर्ष की पहली मशाल सुलगाने वाले बुंदेलखंड के रणबांकुरे इतिहास के पन्नों में जगह नहीं पा सके, लेकिन उनकी शूरवीरता की तस्दीक फिरंगी अफसर खुद कर गये हैं. अंग्रेज अधिकारियों द्वारा लिखे बांदा गजट में एक ऐसी कहानी दफ्न है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं. गजेटियर के पन्ने पलटने पर मालूम हुआ कि वर्ष 1857 में मेरठ की छावनी में फिरंगियों की फौज के सिपाही मंगल पाण्डेय के विद्रोह से भी 15 साल पहले चित्रकूट में क्रांति की चिंगारी भड़क चुकी थी.
उनकी पार्टी की प्राथमिकता रहेगी कि हर हाल में अलग राज्य का निर्माण कराया जाए। जरूरत पड़ने पर वह आंदोलन भी करेंगे। क्योंकि बिना राज्य के क्षेत्र का विकास संभव नहीं हैं। उन्होंने बताया कि वह लगातार जनसंपर्क कर सकारात्मक मानसिकता वाले लोगों को पार्टी से जोड़ने का प्रयास भी कर रहे हैं।
सुलखान सिंह उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक हैं। वे वर्ष 1980 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं। इससे पूर्व वे पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे। सिंह बांदा जिले के तिंदवारी क्षेत्र के जौहरपुर गांव के रहने वाले श्री सिंह का जन्म 8 सितंबर 1957 हैं और इनकी छवि एक ईमानदार अधिकारी के रूप में मानी जाती है।---------------------------------------------------------------------------------------------------------------
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