अमर सिंह राजपूत पुनः जिला अध्यक्ष निर्वाचित
निर्वाचन अधिवेशन के बाद डॉ. रघुनंदन चिले जी की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें उपस्थित साहित्यकारों ने समसामयिक कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन श्री पीएस परिहार ने किया तथा आभार श्री अमर सिंह राजपूत ने माना।दूसरे चरण में काव्य रस की अविरल धार बहाते हुए नरेंद्र अरजरिया ने रचना पढ़ी कि,पेट सभी को दे रहा,पल पल में अलसेट। इस के चक्कर में सभी,करते नित्य परेट। गणेश राय ने,सुख को शरबत भर पेट पियो। चंद्रा नेमा ने,स्वर हमारे गीत बन सकें शारदा मां।आराधना राय ने,क्या औचित्य इन सब का,कहां हैं हमारे विचार। पी एस परिहार ने,एक दीप तुम जलाओ,एक दीप हम जलाएं। डा प्रेमलता नीलम ने,किरण खीन भी हो सूरज की जगमगाएगी।डा रघुनंदन चिले ने,आग पेट की कभी बुझी ना।रामकुमार तिवारी ने,राधा कहुं के जय हैं।इंजी अमर सिंह राजपूत ने, लहसुन खाना भी जहां समझा जाता पाप,जानें क्यों उस देश में रिश्वत खाते आप।बी एम दुबे ने,जिनसे मिलना और बात करना दुर्लभ था।आनंद जैन ने,यूं तो लोगों आईने मिलते हैं विरासत में। चेहरे अक्सर बदल जाते हैं सियासत में।और सदन नेमा ने ,ने मारो नैन छ्वीली। रचना पढ़ी। सदन में भारी संख्या में साहित्य सुधीजन मौजूद रहे।
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