बुंदेली के सुप्रसिद्ध लेखक, कवि और समालोचक स्व. रमेशदत्त दुबे ने ठेठ बुंदेलखंडी रागों और लय में उनका जीवन ढला था-प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी

 



सागर : हिन्दी और बुंदेली के सुप्रसिद्ध लेखक, कवि और समालोचक रमेश दत्त दुबे की दसवीं पुण्यतिथि पर श्यामलम् द्वारा रमेश दत्त दुबे स्मृति कार्यक्रम के दसवें वार्षिक‌ आयोजन के अवसर पर मुख्य अतिथि देश के सुप्रसिद्ध कवि व समालोचक डॉ उदयन वाजपेयी भोपाल ने अपने अत्यधिक प्रभावी और बौद्धिक उद्बोधन में कहा कि रमेश दत्त दुबे जी ने कभी किसी चीज से समझौता नहीं किया। इस अर्थ में वे एक विशिष्ट रचनाकार बौद्धिक थे जो राजसत्ता और नागरिक समाज के बीच के फॉ॑क को रेखांकित कर राजसत्ता को प्रश्नांकित करते रहे। आज मैं यह जोर देकर कहना चाहता हूँ कि आप लेखक के साथ साथ उसके लेखन को भी याद करें। वही समाज महान होता है जो अपने लेखकों और नागरिक बौद्धिकों को याद रखता है। अगर आपको दुबे जी को याद करना है तो उनकी एक कहानी "गाँव" को पढ़िये और आपके अपने शहर के लेखक की रचनात्मक ऊँचाई देखिये। मैं दुबे जी के प्रति आपके आदर को देखते हुए कोशिश करूँगा कि अगले वर्ष से रज़ा फाउंडेशन की ओर से रमेश दत्त दुबे जी की स्मृति में बड़ी व्याख्यान माला आयोजित हो सके।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि रमेशदत्त दुबे का व्यक्तित्व और साहित्य परस्पर पूरक और सर्वथा मौलिक था। उनमें  अपने समय  और समाज तथा राजनीति की विसंगतियों और दुर्बलताओं से लड़ने की शक्ति थी। उनका फक्कड़पन और प्रतिरोधी स्वभाव उन्हें कबीर के निकट खड़ा करता है। वे जीवन पर्यन्त किसी वाद और छाया से मुक्त थे । ठेठ बुंदेलखंडी रागों और लय में उनका जीवन ढला था। स्वाभिमान के शिखर पर पहुंच कर भी वे बेहद संवेदनशील और सरल भी थे।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. आशुतोष मिश्र ने कहा कि रमेशदत्त दुबे एक कारीगर रचनाकार थे। कारीगरी भी ऐसी कि ऊपर से उस कारीगरी का कोई निशान नज़र नहीं आता था। कथ्य, शिल्प और कारीगरी सब कुछ मिलकर एक हो जाते हैं। उनके जितना निर्दोष जीवन और सृजन अन्यत्र लगभग दुर्लभ है।


इस अवसर पर पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव ने रमेश दत्त जी से जुड़े रोचक प्रसंगों को उल्लेख करते हुए उन्हें एक अद्भुत व्यक्तित्व के तौर पर व्यक्त किया।
कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों द्वारा स्वर्गीय रमेश दत्त जी के चित्र पर पुष्प अर्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुई। अमीस दत्त दुबे,अभिनव दत्त दुबे, उमाकांत मिश्र ,कुंदन पाराशर और श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने अतिथि स्वागत किया।
आयोजक संस्था श्यामलम् के कार्य. सदस्य रमाकांत शास्त्री ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का सुचारू एवं व्यवस्थित संचालन मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन सागर इकाई के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने किया तथा श्रीमती सीमा रमेश दत्त दुबे ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध लोकगीत गायक बुंदेली कवि हरगोविंद विश्व को रमेश दत्त दुबे स्मृति सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया। सम्मान पत्र का वाचन श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने किया। सम्मानित श्री विश्व ने अपनी दो रचनाओं का मधुर गायन करते हुए सम्मान के प्रति अपना धन्यवाद प्रकट किया। 
कार्यक्रम में रमेश दत्त जी के परिजनों सहित बड़ी संख्या में नगर के प्रबुद्ध वर्ग की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही जिनमें शुकदेव प्रसाद तिवारी, हेमचंद जैन, लक्ष्मी नारायण चौरसिया, शिवरतन यादव, जी एल छत्रसाल, डॉ गजाधर सागर, कैलाश सिंघई, हरि सिंह ठाकुर,रफीक गनी, रमेश दुबे,आर के तिवारी, डॉ मनोहर देवलिया,एम शरीफ, अरुण कुमार दुबे, वृन्दावन राय सरल,डॉ राजेश दुबे, टीकाराम त्रिपाठी, पूरन सिंह राजपूत, देवी सिंह राजपूत, के एल तिवारी अलबेला, ज.ला. प्रभाकर, पी . एन.मिश्रा जी, शमीम बानो, मुकेश निराला, श्रवण श्रीवास्तव, असरार अहमद, डॉ विनोद तिवारी, वीरेंद्र प्रधान, अकील खान, सोमेन्द्र शुक्ला, सतीश साहू, पुरषोत्तम चौबे, रविशंकर केशरी, डॉ अशोक कुमार तिवारी, राजेश शास्त्री, भावना बड़ोन्या, वीरेन्द प्रधान, रविंद्र दुबे काका,आजम खां, सतीष रैकवार,संजय रैकवार,हिमाशु रैकवार असलम खान, इस्तयार खान, सोनू भाईजान आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
 

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